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हिन्दू धर्म में चार जातियों का विभाजन कैसे और किस आधार पर हुआ ?

नमस्कार ! हेलो दोस्तों, आपने कभी ये सोचा, की हिन्दू  समाज में जिन चार जातियों का उल्लेख है  ब्राह्मण ,क्षत्रिय , वैश्य  और सूद्र ये चार जातियां क्या हैं या फिर ये चार ही क्यों हैं ? सृष्टि के आरम्भ में जब श्री ब्रम्हा जी ने मनुस्य की  सृष्टि रचना आरम्भ की तभी इन जातियों का निर्धारण भी  इनके कर्मो के आधार पे कर दिया | सबसे पहले उन्होंने कुछ मनुष्यों की रचना की और फिर पाया की उस नवरचित समूह में रचनात्मक अथवा ये कह लें कि क्रियात्मक दृस्टि से सब मनुष्य, मनुष्य होते हुए भी एक जैसे नहीं थे, कुछ लोग  रंग के आधार पर, कुछ मानसिक तौर पे और कुछ शारीरिक क्षमता के आधार पे बिलकुल ही अलग - अलग थे | इसको आप यूँ समझ लीजिये की जैसे कोई भी रचना भले ही प्रतिलिपि ही क्यों न हो पर यदि अत्यधिक मात्रा में होनी हो तो उसमे अंतर आना स्वाभाविक है | फिर परमपिता ब्रह्माजी ने उस मनुष्य समूह को कुछ दिनों तक यूँ ही साथ रहने का आदेश दिया और स्वयं उनको गिद्ध दृष्टि से परखते रहे |  कुछ वर्ष बीतने के उपरांत श्री ब्रह्मा जी ने देखा कि सारे के सारे लोग अपने कर्मो और सुविधा के अनुरूप स्वयं ही अलग अलग समूहों में बट गए | उनमे

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